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Friday, 10 May 2024

खूबसूरती और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, रहस्य जानकर रह जाएंगे हैरान

नई दिल्ली (एकता): हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों का अपना खास महत्व है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध हैं। यह अपनी विशालता और अद्भुत वास्तुशिल्प के लिए सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि दुनिया में मशहूर है। यह कंबोडिया में स्थित है, जिसका नाम अंकोरवाट मंदिर है। यह भगवान विष्णु को समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। 


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इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इन अद्भुत संरचनाओं का निर्माण कई सौ सालों पहले बिना किसी मशीनी से किया गया था। जो आज तक वैसा ही बरकरार है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मंदिर 162.6 हेक्टेयर में फैला हुआ है। लाखों सैलानी इसकी सुंदरता को देखने के लिए आते हैं। राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के शासन काल 1112 से 1153 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था।


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इस मंदिर के चित्र को कम्बोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में छापा गया है। कम्बोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर तो है, लेकिन वहां कोई हिंदू क्यों नहीं है? इतिहास के मुताबिक, यहां लोगों ने दूसरे धर्मों को अपना लिया है।


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यह मंदिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कहलाता है। इस मंदिर का पुराना नाम 'यशोधरपुर' था। इसकी दीवारों पर भारतीय हिन्दू धर्म ग्रन्थों के प्रसंगों का चित्रण है। देवताओं के बीच समुद्र मन्थन का दृश्य भी दिखाया गया है। विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थानों में से एक होने के साथ ही यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। सनातनी लोग इसे पवित्र तीर्थस्थान मानते हैं।


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विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कौन से देश में है?

अंकोरवाट विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है। इसके अलावा यह बड़ा धार्मिक स्मारक भी है। यह कंबोडिया देश के अंकोर में स्थित है।


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अंकोरवाट मंदिर का रहस्य क्या है?
इस मंदिर का रहस्य काफी पुराना है। बहुत विशाल है और यहां के शिलाचित्रों में राम कथा बहुत संक्षिप्त रूप से है, इन शिलाचित्रों की शृंखला की शुरुवात रावण वध हेतु देवताओं द्वारा की गयी आराधना से होती है, फिर उसके बाद सीता स्वयंवर का दृश्य देखने मिलता है, इन दो प्रमुख घटनाओं के बाद विराध एवं कबंध वध का शिला चित्रण देखने को मिलता है।


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