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Monday, 29 April 2024

जानिए वो रोचक कथा जिसकी वजह से महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति हुई थी

लुधियाना : (तमन्ना बेदी) मान्यता है कि इस मंत्र का जाप यदि एक निश्चित संख्या में किया जाए तो बड़े से बड़ा असाध्य रोग भी टल जाता है। इसके जाप से मृत्यु का संकट भी टल जाता है। सावन के माह में इस मंत्र का जाप करना बहुत ही शुभफलदायी रहता है। भगवान शिव की कृपा से यमराज भी ऐसे व्यक्ति को कोई कष्ट नहीं देते हैं।


पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय ऋषि मृकण्डु ने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की। अपने भक्त की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषि मृकण्डु को संतान प्राप्त होने का वरदान दिया पर भगवान शिव ने ऋषि मृकण्डु को बताया कि यह पुत्र अल्पायु होगा। इसके कुछ समय पश्चात ऋषि मृकण्डु को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। पुत्र के जन्म के पश्चात ऋषियों ने बताया कि इस संतान की आयु केवल 16 वर्ष ही होगी। यह सुनते ही ऋषि मृकण्डु विषाद से घिर गए।


अपने पति को चिंता से घिरा हुआ देख जब ऋषि मृकण्डु की पत्नी ने उनसे दर्द का कारण पूछा तब उन्होंने सारी बात बताई । इस पर उनकी पत्नी ने कहा कि यदि शिव जी की कृपा होगी, तो यह विधान भी वे टाल देंगे। ऋषि ने अपने पुत्र का नाम मार्कण्डेय रखा और उन्हें शिव मंत्र भी दिया। जब समय निकट आया तो ऋषि मृकण्डु ने अल्पायु की बात अपने पुत्र मार्कण्डेय को बताई।


तब शिवजी की आराधना के लिए मार्कण्डेय जी ने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव मंदिर में बैठ कर इसका अखंड जाप करने लगे।


जब मार्कण्डेय जी की आयु पूर्ण हो गई तब उनके प्राण लेने के लिए यमदूत आये परंतु उस समय मार्कण्डेय जी भगवान शिव की तपस्या में लीन थे। यह देखकर यमदूत वापस यमराज के पास गए और वापस आकर पूरी बात बताई। तब मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए यमराज स्वयं आये। जैसे ही उन्होंने मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए अपना पाश उनपर डाला, तो बालक मार्कण्डेय शिवलिंग से लिपट गए।


ऐसे में पाश गलती से शिवलिंग पर जा गिरा। यमराज की आक्रमकता पर शिव जी अत्यंत क्रोधित हो गए और अपने भक्त की रक्षा हेतु भगवान शिव यमराज के समक्ष प्रकट हो गए, तब यम देव ने विधि के नियम की याद दिलाई लेकिन शिवजी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु का वरदान देकर विधान ही बदल दिया।


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