The Summer News
×
Tuesday, 14 May 2024

पराली प्रबंधन को लेकर मिस्र से सीख लें किसान और सरकार

निरंतर बढ़ रहे एयर पाल्यूशन के चलते जहाँ  लोगों को अनेकों गंभीर समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है, वहीं एयर इंडेक्स क्वालिटी को लेकर यह सवाल भी किया जा रहा है कि क्या दीपावली के पटाखों की वजह से ऐसा हुआ हुआ है? नहीं, ऐसा नहीं है। इस बार दीपावली के पटाखों की वजह से प्रदूषण की मात्रा विगत वर्षों से कहीं कम बताई जा रही है। लोगों ने इस बार बहुत सीमित संख्या में पटाखे चलाए। प्रशासन की सख्ती इसकी वजह हो सकती है। लेकिन स्वयं लोगों की जागरूकता ने भी रंग दिखाया है। तो फिर क्या वजह है कि एयर पाल्यूशन की समस्या पर वो असर नहीं पड़ा जो पड़ना चाहिए। लुधियाना में AQI 299 रहा, पटियाला में 240, अमृतसर में 194 और खन्ना तथा जालंधर में AQI क्रमशः 173 रहा।


अब सवाल यह है की आखिर क्यूँ  वातावरण में प्रदूषण का प्रभाव पहले से ज्यादा है। लोगों को सांस लेने में दिक्कत के अलावा आंखों में जलन की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। खांसी की समस्या बड़े बुजुर्गों को ही नहीं,युवाओं को भी परेशान कर रही है। सेहत से जुड़ी इन सभी समस्याओं बारे कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा दीपावली के दिन चलाए गए पटाखों और किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाए जाने के कारण हुआ है। अब आंकड़े तो कहते हैं कि इस बार दीपावली पर पटाखे पिछले वर्षों की बनिस्बत कम चले हैं। तो फिर उंगली खेतों में पराली जलाए जाने की ओर उठना स्वभाविक है। पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों को रेड नोटिस जारी हुआ है। अब तक 658 मामले पराली जलाने के सामने आए हैं जिन्हें जुर्माना हुआ। कल तक खेतों में पराली जलाने के 17864 मामले सामने आए जो पिछले वर्ष 2926 जयादा हैं।


पराली के कारण फैल रहे प्रदूषण के बीच विडंबना यह है कि अब पंजाब और हरियाणा के बीच पराली के प्रदूषण को लेकर सियासी धुआं उठने लगा है। दोनों राज्यों की सरकारें इस मुद्दे को लेकर आमने-सामने हैं। एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के बड़े स्तर के लिए पंजाब को जिम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं पंजाब के मुकाबले मात्र 10 फ़ीसदी हैं । दूसरी और पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल का कहना है कि गुजरात में चुनाव के चलते हरियाणा सरकार पंजाब को बदनाम कर रही है। उधर पंजाब भाजपा के महासचिव शुभाष शर्मा ने पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब सरकार को निशाने लिया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है। लेकिन पंजाब सरकार की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह लगाना उचित दिखाई नहीं देता। करतारपुर से विधायक बलकार सिंह द्वारा अपनी गाड़ी रुकवा कर किसानों द्वारा लगाई गई आग को स्वयं बुझाने की घटना इसकी बड़ी मिसाल है।


बहरहाल इस गंभीर मसले के हल के लिए बड़े स्तर पर प्रयासों की जरूरत है।
मिस्र ने इस दिशा में बड़ा काम किया है। मिस्र में 9 लाख हैक्टेयर ज़मीन पर धान की खेती होती है। वहाँ खेतों में पराली जलाए जाने से नील डेल्टा पर काले बादलों को पहली बार 1997 में देखा गया।


मिस्र ने इस समस्या की गम्भीरता को समझा और पराली ना जलाए जाने के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए सेमिनार किये गये । पराली जलाने वाले किसानों को जुर्माना और सज़ा भी हुई। वर्ष 2018 आते आते मिस्र में पराली जलाने की परंपरा ही नहीं रही। पराली प्रबंधन के लिए मशीनों की वयवसथा की गई। धान के अलावा वैकल्पिक फसलें बोने, सिंचाई के आधुनिक तरीके तलाशने पर जोर दया गया। पराली प्रबंधन को लेकर भारत भी मिस्र से सबक लेकर इस समस्या से निजात पा सकता है।


पराली जलाने से खेतों में वनस्पति की भी क्षति होती है और धुएं से अनेकों प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। आग लगने से कृषि के लिए लाभदायक मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं। जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। इसलिए खेतों में बची अवशेष को खपाने के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ सरकार को पराली प्रबंधन की मशीनें सब्सिडी पर अथवा किराए पर देने का प्रबंध करना चाहिए। बल्कि किसानों को धान की फसल के चक्र से भी निकालने के प्रबंध करने होंगे। राज्य सरकारों को एक दूसरे पर दूषणबाजी करना छोड़कर मानवता के कल्याण के लिए संयुक्त प्रयास करने चाहिएं।

Story You May Like